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इंदौर के राजा के दरबार में वाद्ययंत्रों की जुगलबंदी
इंदौर. संगीत की स्वर लहरियों की अठखेलियां, दिल दिमाग और मस्तिष्क को गदगद कर गई। हारर्मोनियम,संतुर,वायलिन के स्वर पर तबला और पखावज की थाप दर्शकों का मन मोहा।
सुबह से देर रात तक दर्शकों का तांता, महाआरती में सवा लाख स्केयरफीट का पाण्डाल छोटा पडा, दर्शन के लिए रिकार्ड संख्या में पहुच रहे श्रद्धालु इंदौर। मध्यभारत के सबसे लोकप्रिय गणेशोत्सव ‘इंदौर का राजा‘ के दर्शन के लिए अपार संख्या में श्रृद्धालुओं का तातां लग रहा है ।आस्था के आगे हर कोई नतमस्क दिख रहा है।
महाआरती की समय पर साढे बारह हजार स्केयर फिट का महलनुमा गभृग्रह और सवा लाख स्केयरपिफट का विशाल मैदान में पैर रखने तक की जगह नही है। इसके साथ सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में वाद्ययंत्रों की जुगलबंदी ने तो दर्शकों के मन में उत्साह और उमंग का अदभूत संचार का रंग आधी रात तक जमाए रखा।
आलोक दुबे फाउंडेशन ने विजय नगर चैराहे के समीप गुजरात गांधीनगर स्थित अक्षरधाम की प्रतिकृती को इस बारे के गणेशोत्सव में अंकित किया है। इस विशाल साढे बारह हजार स्केयर फिट की प्रतिकृति को विश्व के सबसे बड़े अस्थाई गणपति पाण्डाल का दर्जा भी मिलना शहर ,प्रदेश और देश के साथ ही सम्पर्ण गणेशोत्सव के लिए गौरव की बात है। वल्र्ड बुक आॅफ रिकार्ड में इस को अंकित होने के बाद से तो इंदौर के राजा के दर्शन के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं के जत्थे के जत्थे पहुँच रहे है । यह क्रम देर रात तक जारी रहता है।
आलोक दुबे फाउंडेशन के संस्थापक और “इंदौर का राजा” गणेशोत्सव के आयोजक श्री आलोक दुबे ने बताया कि यहां आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु को किसी प्रकार का कष्ट न हो इसके लिए 1 हजार कार्यकर्ताओं की जम्बो टीम काम कर रही है । इसमें शिर्डी सांई मंदिर की तर्ज पर दर्शन व्यवस्था के कारण हर कोई बड़े आराम से दर्शन के साथ रात्रि के समय सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का भी आनंद ले रहा है।
बच्चे, महिलाए और बुजुर्गो की संख्या सर्वाधिक होने पर भी सब कुछ आराम और एतराम के साथ हर किसी के चेहरे पर आत्मीय शांति देखी जा सकती है न तो किसी प्रकार का हो हल्ला,ना ही जल्द बाजी सब कुछ आराम और सहजता के साथ यहां देखा जा रहा है।
राग यमन की बंदिश से प्रस्तुतियों की शुरूआत
आलोक दुबे ने बताया कि गुरूवार 20 सितंबर की रात्रि फिमेल बैण्ड पंचनाद की स्वर लहररियों ने लाखों दर्शकों को अपना बना लिया। डाॅ रचना शर्मा के साथियों ने क्लासिकल और सेमी क्लासिकल पफ्यूजन की प्रस्तुतियों से दर्शकों के दिल,दिमाग और मस्तिष्क तक को अपना बनाने में कोई करसर बाकी नही रखी। कार्यक्रम की शुरूआत में राग यमन में मधलया और द्रुत लय की प्रस्तुती दी गई जिसमें श्रीराम चंद्रकृपालु भजमन् ,,,,,सुख कर्ता दुख हर्ता,,,,,प्रमुख थी,
वहीं झाला और: हारर्मोनियम,संतुर,वायलिन के स्वर पर तबला और पखावज की थाप दर्शकों का मन हुआ मयुर हो गया । इसके साथ ही वाद्य यंत्रों की जुगलबंदी पर तो दर्शक हर प्रस्तुती में कई कई बार करतल ध्वनी से अपनी अभीव्यक्ति दे रहे थे। राग किरवानी की धुन के बाद केसरियां बालम की मस्ती और बिछोह दोनों का समावेश था।
प्रस्तुतियों में तबले पर मप्र की पहली तबला वादक संगीता अग्नीहोत्री,हारर्मोनियम पर प्रदेश की पहली हारर्मोनियम वादक डाॅ रचना शर्मा, संतुर पर श्रृती अधिकारी,सितार पर मीना बाजपेयी,वायलिन पर पूर्णिमा उपाध्याय,पखावज की थाप पर वैशाली की प्रस्तुतियों ने हर सिकी को संगीत के सागर की सैर करवा दी।
आलोक दुबे ने बताया कि शुक्रवार को देश भक्तिगीतों से सराबोर होगा इंदौर के राजा का प्रागंण, इसके साथी प्रस्तुतियां भी अनोखे अंदाज मे दी जाएगी।